सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने जो 4 सीटें आरएलडी को ऑफर की हैं, उनमें कैराना, बागपत, मथुरा और अमरोहा शामिल हैं. वहीं समाजवादी पार्टी चाहती थी कि उसके उम्मीदवार मुजफ्फरनगर, कैराना, बिजनौर लोकसभा सीटों पर आरएलडी के सिंबल पर चुनाव लड़ें. इसके चलते आरएलडी और सपा गठबंधन में टूट के कारण बनते दिख रहे.
बता दें कि काफी पहले ही जयंत चौधरी और अखिलेश यादव की लखनऊ में हुई मुलाकात के बाद सात सीटों पर डील हो गई थी.इन 7 सीटों में बागपत, मुजफ्फरनगर, कैराना, मथुरा और हाथरस तो तय हैं लेकिन दो सीटों पर अभी भी नाम को लेकर संशय बना हुआ था. अभी यह नहीं हो पा रहा कि मेरठ, बिजनौर, अमरोहा, नगीना और फतेहपुर सीकरी में से कौन सी और 2 सीट आरएलडी को दी जाएंगी. वहीं मुजफ्फरनगर में प्रत्याशी को लेकर भी सपा और आरएलडी में खींचतान बताई गई थी. वहीं मुजफ्फरनगर में प्रत्याशी को लेकर भी सपा और आरएलडी में खींचतान बताई गई थी. समाजवादी पार्टी चाहती है की हरेंद्र मलिक को वहां से आरएलडी के सिंबल पर चुनाव लड़ाया जाए. आरएलडी के कई स्थानीय नेता इसके विरोध में हैं और नहीं चाहते की हरेंद्र मलिक को मुजफ्फरनगर की सीट दी जाए. कारण, हरेंद्र मलिक जब कांग्रेस में हुआ करते थे तब से चौधरी परिवार से पुरानी अदावत रही है और मुजफ्फरनगर सीट चौधरी परिवार की कोर सीट मानी जाती है.