शिकायत के उपरांत लोकायुक्त द्वारा जांच प्रारंभ
देवास। देवास नगर निगम में प्रधानमंत्री आवास (शहरी) निर्माण में हुए करीब एक करोड 88 लाख की राशि के गबन कांड में हितग्राही और तत्कालीन नगर निगम आयुक्त सहित निगम के अन्य अधिकारियों के खिलाफ विशेष महानिदेशक म.प्र. लोकायुक्त विभाग भोपाल के आदेश से विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त शाखा उज्जैन के द्वारा जांच प्रारंभ की गई। आर.टी.आय. एक्टिविस्ट ईदगाह रोड देवास निवासी मेहमूद शेख द्वारा महानिदेशक लोकायुक्त विभाग को सप्रमाण शिकायत की गई थी।
देवास नगर निगम में प्रधानमंत्री शहरी अवास निर्माण योजना में म.प्र.शासन की करीब एक करोड़ 88 लाख की राशि के गबन का मामला सामने आया है। सनसनी खेज मामले का खुलासा तब सामने आया जब देवास के आरटीआई एक्टिविस्ट मेहमूद शेख द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना (बीएलसी) अंतर्गत प्राप्त की गई सूूचना के अधिकार के तहत जानकारी के अनुसार आवास निर्माण योजना में हितग्राहियों को निर्माण के आवेदनों के आधार पर बीएलसी घटक अंतर्गत पात्रता अनुसार बीटीआर के अनुसार चयन करना था एवं चयन के बाद प्रत्येक हितग्राही को आवास निर्माण की प्रथम किश्त एक लाख रूपये की राशि का उपयोग कर जानकारी निगम देवास को भी देना थी। परंतु प्रधानमंत्री आवास निर्माण में चयनित किये गये 114 हितग्राहियों ने प्रथम चरण का निर्माण नहीं करते हुए तत्कालीन नगर निगम आयुक्त विशालसिंह, विभाग प्रमुख कार्यपालन अधिकारी व नोडल अधिकारी नागेश वर्मा, उपयंत्री संपदा शाखा उनैजा खान, कार्यपालन यंत्री आसिम शेख, तत्कालीन सहायक यंत्री शाहिद अली, सहायक संपदा अधिकारी योजना नगर निगम देवास सहित अन्य सहायक इंजीनियरों, असिस्टेंट इंजीनियरों द्वारा अपनी अपनी पसंद के 114 हितग्राहियों की डी.पी.आर सूची फायनल कर ओर सांठ गांठ कर 1 करोड 88 लाख की राशि का गबन किया गया । गबन की राशि का रिकार्ड विवरण भी प्रत्येक हितग्राही के बैंक खातों में शासन के पोर्टल पर भी दर्ज है। गबन की गई शासन की राशि में मेहमूद शेख ने आरोप लगाया है कि संबंधित गबन कांड में नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों, मुख्य कार्यपालन अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों द्वारा 114 हितग्राहियों के स्थल का भौतिक निरीक्षण नहीं किया गया था। बाद में नगर निगम देवास के पत्र क्रमांक 7251/सम्पदा/23 की जानकारी अनुसार संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास भोपाल के पत्र क्र. याप्र/07/2023/624/दिनांक 05.’05.2023 के पश्चात नगर निगम द्वारा हितग्राहियों से राशि की वसूली नहीं की गई है। मांग सूचना पत्र के बिंदु क्र 6 अनुसार राशि पुनः जमा न करने की दशा में हितग्राहियो के विरूद्ध शसन द्वारा सिविल कार्यवाही की जाना सुनिश्चित थी परंतु नगर निगम द्वारा आज दिनांक तक कार्यवाही नहीं की गई । क्योंकि डीपीआर 1650 में एक से लेकर 24 तक राशि अडतालिस लाख की राशि का गबन तथा 25 में चालीस लाख की राशि का गबन एवं 26 से 27 में चालीस लाख एवं 28 से लेकर 48 में 21 लाख की राशि कुल मिलाकर चौहत्तर लाख तथा डीपीआर 1972 में एक से लेकर 114 तक एक करोड 88 लाख की शासन की राशि का गबन 114 हितग्राहियों ओर नगर निगम के अधिकारियों द्वारा सांठ गांठ कर गबन किया गया है। जिसकी गंभीर जांच करवाकर एक करोड़ 88 लाख रूपये की राशि वसूली जाए। तथा इन सभी द्वारा भ्रष्टाचार कर अवैध रूप से अर्जित की गई संपत्ति की जांच की जाए। शिकायतकर्ता ने लोकायुक्त से निवेदन किया है कि निगम की संपदा शाखा में छापामार कार्यवाही कर 114 हितग्राहियों से संबंधित डीपीआर फाईल जप्त की जाए।
लोकायुक्त ने फाईल तलब की
विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त के उप पुलिस अधीक्षक राजेश पाठक ने नगर निगम आयुक्त देवास को पत्र भेजकर 114 हितग्राहियों की संपूूर्ण फाईल के संबंध में नगर निगम के अधिकारियों के कथन हेतु उपस्थित होने का पत्र भेजा ।
नगर निगम के अधिकारी और हितग्राहियों ने साठ गांठ कर करोड़ों का गबन कर शासन के साथ की धोखाधड़ी
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